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अंतर्राष्ट्रीय हकलाना जागरूकता दिवस जाने। Learn International Stammer Awareness Day.

International Stuttering Awareness Day image
वर्ष 1998 से हर साल stammering यानि हकलाना से पीड़ित लोगों में Awareness लाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय हकलाना जागरूकता दिवस ( international stuttering awareness day )  मनाया जाता है।हकलाना कोई बीमारी नहीं है ये एक Speech Disorde जिसमे व्यक्ति न चाहते हुए भी शब्दों को अटक -अटक कर बोलते है।जब लोग बोलते समय अटक जाते है या किसी शब्द के उपचारण में परेशानी आती है या किसी शब्द को बार - बार बोलना या बोल नहीं पाता इसे ही हकलाना या Stammering  कहते है। कुछ केसेस में इसे स्पीच थेरेपी के द्वारा ठीक भी किया जा सकता है। एक  रीसर्च के आनुसार लड़कियों से लड़कों में 5 गुना ज्यादा ये stammering की समस्या पाई जाती है। विश्व की बात करे तो 7 करोड़ लोग इस समस्या से पीड़ित है अनुमान ये भी है की वर्ष 2040 तक 9 करोड़ लोग इस स्पीच डिसऑर्डर के शिकार हो सकते है। indian stammering association के अनुसार भारत में लगभग 1 प्रतिशत आबादी में ये समस्या है। इसे आत्मविश्वास और धैर्य के साथ प्रयास करने से दूर किया जा सकता है।

Stuttering के प्रति लोगों के मिथक 

हकलाना (Stammering ) को लोग इसे प्राकृतिक या जीवन शैली मन लेते है और ईलाज नहीं करवाते है जबकि ऐसा बिलकुल नहीं है कुछ cases को स्पीच थेरेपी के द्वारा ठीक किया जा सकता है। कुछ लोग stammering से ग्रसित लोगो का दिमाग कमजोर मानते है जबकि सामान्य व्यक्ति से उनका दिमाग ज्यादा चलता है। कुछ लोगो का ये भी मानना है की ऐसे लोगो को बादाम खिलाने और कौवे का झूठा पानी पिलाने से हकलाना कम हो जायेगा परन्तु ये सब लोगो का वहम ही है। इसे केवल साइंटिफिक तरीके और व्यव्हार  से ही दूर किया जा सकता है।

Stammering के कारण

हकलाने (Stammering) कई कारण हो सकते है जैसे परिवार में किसी सदस्य को हो तो बच्चे भी इसे सिख सकते है।  सिर में चोट या genetic कारणों से भी stammering की समस्या हो सकती है। इसके आलावा डर या शॉक के कारण से भी व्यक्ति हकलाने लगता है। लोग इसे हल्के में ले लेते है जबकि इसके कारण व्यक्ति की पढ़ाई ,नौकरी और उसकी निजी जीवन पर भी असर डाल सकती है।

Stammering की समस्या का समाधान

हकलाने की समस्या स्पीच थेरेपी के द्वारा ठीक किया जा सकता है। इसमें व्यक्ति की Tongue Muscles और  Jaw Muscles की Exercise , Breathing Control की training दी जाती है। साथ में Articulation यानि की किस शब्द का sound कैसे निकालना और Reading का तरीका समझाया जाता है। छोटे बच्चो को Speech therapy न देते हुए उनके माता - पिता को बोलने की स्टाइल सिखाते है। स्पीच थेरेपी से कितने दिनों में सही बोलने लगे गए ये तो व्यक्ति की उम्र और वह कितना हकलाता है इस पर निर्भर करता है सामान्यतः इस थेरेपी का असर एक महीने में ही दिखाई देने लगता है। इस बिच थेरेपी लेने वाले व्यक्ति को प्रोत्साहित और उसका हौसला बढ़ाते रहना जरूरी होता है। ऐसा कहा गया है की ब्रिटैन के पूर्व प्रधानमंत्री Winston Churchill , हॉलीवुड अभिनेत्री Marlin Munro, Hrithik Roshan और Rani Mukerji से बड़ी हस्ती भी कभी इस समस्या से परेशान रहे है। लेकिन फिर भी इन लोगों ने कभी हर नहीं मानी है। 

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