अक्सर लोग पीढ दर्द की शिकायत लेकर अस्पताल में आते है उनमें से 10 प्रतिशत लोगों को स्पाइनल कॉर्ड ट्यूबरक्लोसिस ( spinal cord tuberculosis ) होती है जो की एक एक्स्ट्रा पल्मोनरी टीबी का प्रकार है। बहुत से लोग पीढ दर्द को आमदर्द मानकर लम्बे समय तक ईलाज नहीं करवाते है जिससे तकलीफ और बढ़ जाती है अगर 2 से 3 हफ्ते या अधिक समय से पीढ का दर्द हो तो तुरंत डॉक्टर को बताना चाहिए WHO के अनुसार वर्ष 2016 में 76 हजार बच्चों में स्पाइनल कॉर्ड ट्यूबरक्लोसिस पाई गई थी।
स्पाइनल कॉर्ड ट्यूबरक्लोसिस की शुरुआत:
इस प्रकार की टीबी फेफड़ों से या डायरेक्ट खून के द्वारा शरीर के किसी भी भाग में टीबी के बैक्टीरिया पहुंच जाते है जिस भाग में ये ट्यूबरक्लोसिस के बैक्टीरिया चले जाते है उसी भाग में टीबी हो जाती है और उसी जगह लक्षण दिखाई देते है। सबसे ज्यादा 50 प्रतिशत स्पाइनल टीबी ( spinal tuberculosis ) होती है। जिसकी शुरुआत इंटर वर्टिबल डिस्क से होती है और धीरे-धीरे रीढ़ की हड्डी में फैलने लगती है जिससे रीढ़ की हड्डी गलने लगती है और स्थाय अपंगता भी आ सकती है।
स्पाइनल कॉर्ड ट्यूबरक्लोसिस की जाँच:
स्पाइनल कॉर्ड टीबी की जांच के लिए सबसे पहले CBC ब्लड काउंट, टुबरकुलीन स्कीन टेस्ट ( MT टेस्ट ) किया जाता है। इनके अलावा भी जैसे - MRI, CT Scane और ( Biopsy ) बायोप्सी टेस्ट के जरिए टीबी के संक्रमण का पता लगाया जा सकता है।
स्पाइनल कॉर्ड ट्यूबरक्लोसिस के लक्षण:
स्पाइनल ट्यूबरक्लोसिस के शुरुआती लक्षण नॉर्मल होते है इसमें रीढ़ की हड्डी में ही मरीज को तकलीफ होती है इसमें पल्मोनरी ट्यूबरक्लोसिस के सामान लक्षण जैसे - खांसी आना, भूख न लगना, शाम को बुखार आना, खांसी में खून आना ये लक्षण हो भी सकते हे और नहीं भी। लम्बे समय से रीढ़ की हड्डी में दर्द हो तो उसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए तुरन्त डॉक्टर को बताना चाहिए।
- लगातार रीढ़ की हडडी में दर्द और जकड़न बानी रहती है।
- साँस लेने और उठने - बैठने में परेशानी अति है।
- रीढ़ की हड्डी में झुकाव या सूजन भी हो सकता है।
- स्पाइनल टीबी के कारण कभी-कभी पैरालाइसिस भी हो जाता है
- ऐसे मरीज सही से चल-फिर नहीं सकते है और न सो सकते है।
स्पाइनल कॉर्ड ट्यूबरक्लोसिस का उपचार:
सामान्य टीबी ( pulmonary tuberculosis ) का ईलाज 6 महीने तक चलता है लेकिन स्पाइनल कॉर्ड टीबी का ईलाज 12 - 18 महीने का हो सकता है। ऐसे मरीजों को डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही ट्रीटमेंट शुरू और बंध करना चाहिए। जरुरत पड़े तो ऐसे मरीज को स्पाइनल ब्रेस ( spinal brace ) का उपयोग करना चाहिए।
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