👉 कोरोना वायरस से पीड़ित लोगों की बढ़ती जनसँख्या को देखते हुए केंद्र सरकार ने 14.03.2020 कोरोना (COVID-19) को राष्ट्रीय आपदा घोषित कर दिया। और इस वायरस के संक्रमण से मौत हो जाने पर परिवार को 4 लाख रुपये की आर्थिक मदद देने की घोषणा की गई।
👉 कोरोना वायरस ( COVID-19 ) को सबसे पहले चीन के वुहान सिटी मे 31 दिसंबर 2019 को रिपोर्ट किया गया और अब यह भारत समित करीब 122 देशों मे फैल चूका है। करोना वायरस के इस प्रकोप को देखते हुए WHO ने 11 मार्च 2020 को इसे ( pandemic ) महामारी घोषित किया है। ऐसे ही 2009 मे स्वाइन फ्लू ( Swine Flu ) को पेंडेमिक घोषित किया गया था।
👉कोरोना वायरस पीड़ित लोगो की संख्या WHO की वेबसाइट पर दक्षिण-पूर्व एशिया देशो की लेटेस्ट सूचि देखे 👉 Click here
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👉 30 दिसंबर 2019 को Revised National Tuberculosis Control Program ( RNTCP ) नाम चेंज कर National Tuberculosis Elimination Program ( NTEP )
👉 वर्ष 2019 की थीम - 'It's time...' यह समय है…
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👉 विटामिन डी की दवा प्रतिरोधी टीबी के इलाज में मददगार :
लंदन - शोधकर्ताओं को विटामिन डी में दवा प्रतिरोधी टीबी के इलाज की संभावना दिखी है। उनका दावा है कि एंटीबायोटिक्स के साथ विटामिन डी सप्लीमेंट लेने से फेफड़ों में दवा प्रतिरोधी ट्यूबरक्लोसिस बैक्टीरिया के सफाये की प्रक्रिया को तेज करने में मदद मिल सकती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का अनुमान है कि 2017 में दुनिया भर में करीब एक करोड़ लोग टीबी की चपेट में आए और 16 लाख रोगियों की इसके चलते मौत हो गई। ब्रिटेन की क़्वीन मैरी यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता एड्रियन मार्टिन्यू ने कहा 'वैष्विक स्तर पर मल्टी ड्रग रजिस्टेंट (MDR ) टीबी बढ़ रहा है। और इसका इलाज करना कठिन होता है।
👉टीबी मरीजों को लगाए जाने वाले Streptomycin inj.का उपयोग खत्म:
डॉक्टरों के अनुसार टीबी मरीजों को लगाए जाने वाले streptomycin इंजेक्शन का अब कोई उपयोग नहीं रहा है।और एमडीआर मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। मरीजों की CBNAAT जांच से ये पता लगाया जा सकता है कि मरीज को कोनसी दवाई खाना है और कोनसी नहीं।
👉 ड्रग रजिस्टेंस टीबी का खतरा :
छह माह तक टीबी की नियमित दवाई लेना जरुरी होता है नहीं तो ये एमडीआर टीबी में तब्दील हो जाती है सरकारी अस्पतालों में नियमित फॉलोअप और डॉट्स प्रोवाइडर स्वयं मरीज को दवाई खिलाते है। वही निजी डॉक्टरों से इलाज कराने वाले मरीज थोड़ा सा आराम मिलते ही दवा बंध कर देते है। यही कारण है कि एमडीआर टीबी बढ़ती जा रही है।
👉 सजा (दण्ड) का प्रावधान:
स्वास्थ्य मंत्रालय ने अप्रैल 2018 में टीबी के मरीजों की जानकारी नहीं देने वाले डॉक्टरों को आईपीसी की धारा 269 और 270 के तहत छह माह से दो साल तक की सजा की अधिसूचना जारी की थी। अफसरों के अनुसार शेड्यूल एच 1 की 42 दवाइयों पर यह नियम लागु होता है। इनमें से 13 दवाएं टीबी से सम्बंधित है। यही नहीं निजी अस्पताल और निजी डॉक्टरों से इलाज कराने वाले अधिकतर मरीज बिच में ही दवाई छोड़ देते है ,जिससे उनमे ड्रग रजिस्टेंस टीबी का खतरा बढ़ जाता है।
👉 दुनिया की सबसे घातक संक्रामक बीमारी टीबी के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में एक परिवर्तनकारी खोज बेलारूस के डॉक्टरों ने की है उन्होंने 181 टीबी मरीजों को एंटीबायोटिक दवाओं के साथ betaquiline की खुराक दी जिनमें 168 टीबी के रोगियों ने दवा का पूर्ण ईलाज लिया जिसमे 144 रोगियों में टीबी के लक्षण पूरी तरह से खत्म हो गए इस प्रकार से 80% bedaquiline से सार्थक नतीजे मिले जबकि who के अनुसार अब तक केवल 55% टीबी मरीजों का इलाज संभव था।
👉 WHO के अनुसार पुरे वर्ल्ड में साल 2017 में 10 मिलियन एडल्ट लोगो को टीबी हुई जिनमें 1.6 मिलियन लोगों की मौत हो गई।और 1 मिलियन टीबी के बच्चों ( 0-14 वर्ष ) में 230000 लाख की मौत हुई।
👉 भारत में लगभग 21 लाख लोगों को टीबी हो गई जिसमें अनुमानित 30000 लोगों को एमडीआर टीबी थी जबकि 6500 मरीज bedaquiline आधारित उपचार पर ईलाज चल रहा है। यूनाइटेड स्टेट्स एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट ने भारत सरकार के (आरएनटीसीपी) संशोधित राष्ट्रीय टीबी नियत्रण कार्यक्रम को bedaquiline 22000 खुराक प्रदान की है। जो की एमडीआर मरीजों को निशुल्क दी जाती है एक मरीज का पुरा कोर्स अनुमानित 1.12 लाख का होता है।
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