हड्डी की टीबी (TB of bone) सभी टीबी के 3 प्रतिशत मरीज भारत में पाए जाते है हड्डी की टीबी धीरे-धीरे होती है जब यह टीबी हो जाती है तो मरीज को हड्डियों में दर्द होता है । मरीज को हल्का-हल्का बुखार बना रहता है, सबसे ज्यादा रीढ़ की हड्डी की टीबी बच्चो में होती है क्योकि बच्चो की रीढ़ की हड्डी कमजोर होती है जिससे ट्यूबरक्लोसिस बैक्टीरया ज्यादा प्रभाव डालते है , 6 महीने से 12 साल के बच्चो में कई बार बोन टीबी के कारण कूबड़ निकल जाता है।
बोन टीबी के क्या कारण है ?
बोन टीबी को कैसे पहचाने ?( bone TB symptoms)
जब मरीज को लगातार बुखार बना रहता है और हड्डियों में दर्द बना रहता है तो उन्हें हड्डी की टीबी हो सकती है इसके लिए उन्हें स्केलेट्स ,x-ray,हड्डी का सेम्पल लेकर कल्चर ,माइक्रोस्कोपिक और MRI करवाया जाता है। हड्डी की टीबी शरीर की किसी भी हड्डी में हो सकती है। सबसे ज्यादा रीढ़ की हड्डी में टीबी होती है और ये ज्यादा बच्चो में होती है।
बोन टीबी होने के कारण :
बोन टीबी कैल्सियम ,फास्फोरस और विटामिन -D की कमी के कारण होती है क्योकि बोन में ट्यूबरक्लोसिस के प्रभाव के कारण कैल्सियम ,फॉस्फोरस और विटामिन -D नहीं बन पाते है। ये ट्यूबरक्लोसिस बैक्टेरिया जोड़ों में पाए जाने वाले लिगामेंट को भी प्रभावित करते है जिससे घुटनो में दर्द होता है। हड्डी की टीबी अनुवांशिक भी हो सकती है। जब M-ट्यूबरक्लोसिस बैक्टेरिया हवा के द्वारा फेफड़ों से रक्त के माध्यम से हड्डियों में पहुंच कर उन्हें प्रभावित करते है तो हड्डी की टीबी हो जाती है। सामान्य टीबी के मरीज को हड्डी की टीबी होने का खतरा बड़ जाता है।
बोन टीबी का ईलाज (bone tb treatment ) भी सामान्य टीबी के मरीज के समान ईलाज किया जाता है।
बोन टीबी का ईलाज (bone tb treatment ) भी सामान्य टीबी के मरीज के समान ईलाज किया जाता है।
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