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कुष्ठ रोग क्या है ? जाने What is leprosy? Know

Leprosy disease image
कुष्ठ  ( Leprosy ) रोग एक संक्रामक और  chronic disease  बीमारी है। कुष्ठ रोग को Hansen's disease भी कहते है क्योकि इसी नाम के वैज्ञानिक ने 1873 में कुष्ठ रोग का पता लगाया था। कुष्ठ रोग Mycobacterium Leprae और mycobacterium lepromatosis जीवाणुओं के द्वारा होने वाली एक संक्रामक बीमारी है। जो धीमी गति से फैलती है। विश्व कुष्ठ दिवस हर साल जनवरी महीने के अंतिम रविवार को मनाया जाता है। वर्ष 1955 में भारत सरकार ने राष्ट्रीय कुष्ठ नियंत्रित कार्यक्रम शुरू किया था। और 1982 में मल्टी ड्रग थेरपी के शुरुआत में इस रोग के उन्मूलन के उद्देस्य से वर्ष 1983  में इसे राष्ट्रीय कुष्ठ रोगउन्मूलन कार्यक्रम में बदल  दिया  गया। वर्ष 2005 में राष्ट्रीय स्तर  पर कुष्ठ रोग का उन्मोलन किया गया लेकिन विश्व के लगभग 57 % कुष्ठ रोगी भारत में रहते है। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार मंत्रालय ने स्पर्श कुष्ठ जागरूकता अभियान का आयोजन महात्मा गाँधी की पुण्य तिथि 30 जनवरी 2018 किया गया। 

Type of leprosy

कुष्ठ रोग मुख्य रूप से दो प्रकार के होते है -
1.     Tuberculoid -  यह ज्यादा गंभीर नहीं होता है। 
2.     Lepromatous - इस प्रकार का कुष्ठ ज्यादा गंभीर होता है इसमें प्रभावित अंग का मांस बढ़ाने लगता है। और गांठे बनने लगती है। 

कुष्ठ को कैसे पहचाने 

 अगर शरीर के किसी भी भाग में दाग धब्बे हो जाए और उसमे न दर्द महसूस हो न ठंडी गर्मी महसूस होती हो और न छूने पर पता चलता है तो आपको कुष्ठ होने का खतरा बढ़ जाता है। 

symptoms of leprosy 

इसके लक्षण 2 से 10 सालो बाद दिखाई देते है। लक्षण इस प्रकार है - 
1.     कुष्ठ से प्रभावित अंग में सुन्न महसूस होना तापमान में बदलाव व स्पर्श महसूस न होना। 
2.     सुई या पिन से चुभन महसूस नहीं होना। 
3.     त्वचा पर लाल पिले चकत्ते और फोड़े बनना 
4.     वजन कम और नशे क्षतिग्रस्त होना। 
5.     आँखों में सूखापन और पलक का कम झपकना। 
6.     प्रभावित अंगो में बाल झड़ जाते है। 

 कुष्ठ से जुड़ी भ्रांतिया 

समाज में कुष्ठ से जुड़ी अनेक भ्रांतिया है जैसे  - 
  1. लोग इसे छुआछूत की बीमारी समझते है और छूने से डरते है। जबकि कुष्ठ साथ में बैठने, खाना खाने से नहीं फैलती है यह केवल mycobacterium leprae जीवाणु के द्वारा  होती है। 
  2. समाज में कई लोग इसे लाइलाज मानते है जबकि कुष्ठ का इलाज संभव है। 
  3. समाज में बहुत से लोग कुष्ठ रोग को अनुवांशिक बीमारी मानते है बल्कि ऐसा नहीं है कुष्ठ किसी को भी हो सकता है। 
  4. कई लोग इसे पाप का पर्याय मानते है जबकि ऐसा कदापि नहीं है अगर ऐसा होता तो जेल में बंध सभी कैदियों को कुष्ठ हो गया होता। 
  5. समाज में कोढ़ का नाम सुनते ही घबरा जाते है। किसी परिवार में अगर किसी सदस्य को कोढ़ होता है तो इसका प्रभाव ज्यादा नवयुवकों पर पड़ता है उनके रिश्ते प्रभावित होते है। 

कुष्ठ का उपचार 

कुष्ठ का उपचार संभव है इसके उपचार के लिए एंटीबायोटिक दी जाती है कुष्ठ रोग से प्रभावित नशों में दर्द कम करने के लिए एंटी इन्फ्लामेट्री दी जाती है। कुष्ठ रोग के ईलाज के लिए WHO   ने 1995 में मल्टीपल थैरेपी को विकसित किया गया। एंटीबायोटिक दवाएं जैसे - dapson , rifampine , Clofazimineminocycline , ofloxacin इसके आलावा डॉक्टर चाहे तो एस्पिरिन , prednisone भी दे सकते है। गर्भवती माता अगर कुष्ठ से पीड़ित हो तो उन्हें thalidomide बिलकुल नहीं देना चाहिए। सरकारी अस्पतालों में MDT  ( multy drug थेरेपी ) द्वारा ईलाज किया जाता है। जो की विभिन्न दवाओं का संयोजन है इसका कोर्स 6 से 16 मंथ लग सकते है। 

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