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पल्स पोलियो कार्यक्रम। Pulse polio abhiyan

pulse polio abhiyan
पोलियो एक संक्रामक बीमारी है  यह पोलियोमईलाईटिस (poliomyelitis) वायरस के द्वारा होता है जो ज्यादातर बच्चों मे मल के द्वारा मुँह से उनकी छोटी आंत मे चला जाता है जिसके कारण बच्चे को हल्का बुखार। दस्त ,उल्टी और स्थाई पैरालिसिस हो जाता है। इस बीमारी का कोई परमानेंट ईलाज नहीं है इसकी केवल रोकथाम की जा सकती है। भारत में वर्ष 1995 मे पल्स पोलियो कार्यक्रम की शुरुआत की गई थी। जिसमे 0 से 5 वर्ष के बच्चों को पोलियो की दवाई बूथ पर पिलाई गई थी।  और वर्ष 1999 से 2000 मे डोर टू डोर  दवाई पिलाई गई। अंतिम पोलियो वर्ष 2011 मे पश्चिम बंगाल के हावड़ा जिले मे मिला था। वर्ष 2012 मे पोलियो को भारत से मुक्त कर दिया गया और 2014 मे WHO ने भारत को पोलियो मुक्त Certified कर दिया। पोलियो विश्वयापी बीमारी है आज भी पाकिस्तान ,नाइजीरिया और अफगानिस्तान मे पोलियो है जिसके कारण भारत मे भी पल्स पोलियो कार्यक्रम चलाना जरुरी है। जब तक न पुरे विश्व से पोलियो वायरस समाप्त न हो जाए। Dr. Albert Sabin ने कहा था की मानव जाती के प्रति आपकी जिम्मेदारी है की पोलियो की दवा हर बच्चों को पिलाए।

भारत मे पल्स पोलियो कार्यक्रम 

भारत मे पोलियो की दवा बच्चे के जन्म के तुरंत बाद ,डेढ़ माह ,ढाई माह ,साढ़े तीन माह ,बूस्टर डेढ़ साल और पांच साल मे पिलाई जाती है। इसके आलावा एक्स्ट्रा डोज़ पल्स पोलियो अभियान मे पिलाई जाती है। ताकि पोलियो का वायरस बच ना पाए। इसके लिए  Asha ,anm ,mpw ,supervisor घर - घर जाकर बच्चो को पोलियो की दो बूंद पिलाते है भारत को पोलियो मुक्त बनाने में राष्ट्रपति ,मुख्यमंत्री ,एम्बेसडर जैसे अमिताबबच्चन ,सचिन तेंदुलकर और हेल्थ वर्कर का काफी योगदान रहा है। पल्स पोलियो अभियान हर साल दिसंबर या जनवरी मे शुरू किया जाता है ताकि तापमान पोलियो की दवा को खराब ना करे। पोलियो की दवा जब तक सरकार द्वारा पिलाई जाती है तब तक अपने बच्चो को पिलाना चाहिए।

इतिहास 

पोलियो के टीके की खोज सबसे पहले अमेरिका के वैज्ञानिक Dr. Jonas Salk ने 1950 के दशक मे की थी। मुँह से दिए जाने वाले टीके की खोज Dr. Albert Sabin ने की थी। इन दोनों वैज्ञानिको ने पोलियो वायरस की खोज एक साथ की थी dr. jonas salk ने तो खुद उसी पर पोलियो वायरस का टेस्ट किया था। पोलियो की दवाई टीके की बजाय Oral Drop (मुँह द्वारा) दी जाती है क्योकि इसमें पोलियो की दवाई को बनाना और बच्चो की पिलाने में असानी होती है। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति Frankling D. Roosevelt  को भी पोलियो हो गया था उसने March Of Dimes नाम की एक संस्था बनाई थी जो पोलियो वायरस की खोज मे मदत करती थी। 
पोलियो की दो बूंद - एक भी बच्चा छूट गया समझो सुरक्षा कवछ छूट गया।  

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