छोटे बच्चो
में भी कई बार टीबी हो जाती है। कभी पल्मोनरी टीबी तो कभी एक्स्ट्रा पल्मोनरी टीबी हो जाती है अक्सर बच्चो में एक्स्ट्रा पल्मोनरी टीबी देखने को मिलती है। 10 साल से छोटे बच्चों में ज्यादातर पल्मोनरी टीबी होती है इसका पता skin test (mantoux test) के द्वारा लगाया जाता है बच्चो में टीबी ( tb disease in child ) होने के निम्नलिखित कारण मिलते है।
10 वर्ष से छोटे बच्चों में टीबी की बीमारी।
- बच्चो में लगातार सर्दी खासी का बना रहना।
- वजन का कम होना
- भुख न लगना
- लगातार बुखार बना रहना
उपरोक्त लक्षण अगर बच्चे मे पाये जाये तो टीबी की संभावना बड़ जाती इसके लिए बच्चो को तुरंत डॉक्टर को बताना चाहिए। x ray करवाकर हो सके तो स्पुटम की जांच भी करवाना चाहिए और अगर एक्स्ट्रा पल्मोनरी टीबी हो तो हिस्टोपैथोलॉजी करवाना चाहिए।
बच्चो में टीबी होने के अनेक कारण हो सकते है अगर परिवार में किसी सदस्य को टीबी हो तो बच्चे जब उसके पास जाता है तो उसे टीबी हो जाती है। परिवार में टीबी के मरीज को बच्चो से हमेशा दुरी बनाना चाहिए उसे गोद में नहीं लेना चाहिए जब तक न उसकी बीमारी ठीक न हो जाए। अधिकांश एक से चार साल के बच्चो को ज्यादा टीबी होती है क्योकि इस उम्र में प्रतिरक्षण प्रणाली कमजोर होती है।
child tb in india : भारत में बच्चों में टीबी
भारत में टीबी के 10 मामलों में एक टीबी का बच्चा होता है ,हर साल भारत में करीब दो लाख बच्चो को टीबी हो जाती है। जिनकी जाँच और उपचार किया जाता है। भारत में कुपोषण अधिकतर अनुसूचित जनजाति राज्यों जैसे मध्यप्रदेश,राजस्थान में है। ऐसे राज्यों में टीबी से ग्रषित बच्चे अधिक है। जिनकी जांच और उपचार भारत सरकार के सभी स्वास्थ्य केन्द्रो में निःशुल्क दिया जा रहा है साथ में नुट्रिशन के लिए पाँच सौ रुपये प्रतिमाह दिया जा रहा है। ताकि टीबी के मरीज पोस्टिक आहार खरीद कर खा सके।
👉 टीबी होने पर क्या न खाये
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टीबी कोई ऐसी बीमारी नहीं जो पकड़ में न आ सके।
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